Astrology for Sneeze: ऐसा कहा जाता है कि यात्रा शुरू करते समय, नया व्यवसाय शुरू करते समय या कुछ खरीदते समय छींक अशुभ संकेत देती है लेकिन एक साथ दो छींक आने से शुभ फल मिलता है। छींक विचार शकुन शास्त्र का एक महत्वपूर्ण अंग है। छींक आना एक शारीरिक प्रक्रिया है, लेकिन शकुनों ने कार्य के समय आने वाली छींक को अशुभ बताया है। खोई हुई वस्तु ढूंढने के लिए निकलते समय यदि कोई छींक दे तो इसका अर्थ यह समझा जाता है कि खोजने योग्य वस्तु नहीं मिल रही है। औषधि लेते समय छींक आना शुभ बताया गया है क्योंकि यह छींक शीघ्र रोग नाश सूचक होती है।
छींक शुभ या अशुभ का संकेत है | Astrology for Sneeze
छींक शुभ और अशुभ फल का प्रतीक है, छींक के शुभ फल इस प्रकार जाने जा सकते हैं –
- बिल्ली की छींक अशुभ मानी जाती है, गाय की छींक परेशानी का संकेत देती है और सर्दी, एलर्जी न हो तो किसी महत्वपूर्ण काम पर जाते समय अपनी छींक को भी शकुनों ने अशुभ बताया है।
- गृह प्रवेश, पूजा-पाठ, अनुष्ठान आदि के आरंभ में यदि आपको छींक आ जाए या छींक की आवाज सुनाई दे तो इसे भी अशुभ मानना चाहिए।
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प्राचीन ग्रंथों में कहा गया है कि,
छींक पीठ की कुशल उचारे। बाईं कारज सबै संवारे।।
सम्मुख छींक लड़ाई भाखे। छींक दाहिने द्रव्य विनाशे।।
ऊँची छींक कहे जयकारी। नीची छींक होय भयकारी।।
अपनी छींक महा दुःखदायी, ऐसे छींक विचारें भाई।।
अर्थात चलते समय सामने छींक आना घातक होता है। कुछ विद्वानों के अनुसार यदि चलते समय सामने से कोई छींक दे तो झगड़ा होता है। कुछ मत के अनुसार सामने छींकने से धन की हानि, निंदा, आत्मसम्मान में कमी आती है तथा व्यक्ति अपयश का भागी बनता है। पीठ के पीछे छींक और बायीं ओर छींक शुभ फल देती है। इसके फलस्वरूप धन, सौभाग्य आदि की प्राप्ति हो सकती है, मान-प्रतिष्ठा में वृद्धि की संभावना भी बढ़ सकती है। यदि चलते समय ऊंचाई पर छींक आ जाए तो विजय प्राप्त होती है।
- यदि एक साथ बहुत सी छींकें हों तो उनका कोई फल नहीं होता। लेकिन कुछ विद्वानों के अनुसार यदि एक से अधिक छींक आती है तो यह शुभ शकुन होता है।
एक साथ दो छींकें देती हैं शुभ फल, कहा भी गया है ‘एक नाक से दो छींकें, सब अच्छा होगा’ - किसी भी काम के लिए जाते समय छींक आ जाए तो काम बिगड़ने की संभावना रहती है। अगर कोशिश करने पर भी छींक नहीं रुकती तो व्यक्ति जिस काम के लिए जा रहा है उसमें विघ्न आना तय है।
यदि पहले कोई अपशकुन हुआ हो और फिर पीठ पीछे छींक आ जाए तो इसे शुभ माना जाता है और अपशकुन का प्रभाव समाप्त हो जाता है।
छींक को अधिकतर कार्यों में अशुभ माना जाता है, लेकिन शास्त्रों के अनुसार विवाह, विद्यारंभ, दान, औषधि सेवन, भोजन, बैठने और सोने के लिए छींक शुभ शगुन होती है।
आसने शयने दाने भोजने भेषजे तथा।
विद्यारम्भे विवाहे च सप्त छिक्काः सुखावहा।।
- सर्दी-खांसी से छींक आना, डरने या हंसने से छींक आना, बूढ़े या बच्चे की छींक आना तथा जिद करने से छींक आना असफल हो जाता है। बीमारी या नाक में धूल या तिनका गिरने से आने वाली छींक का कोई फल नहीं होता, वह छींक महत्वपूर्ण होती है जो शकुन के लिए आती है और जो अचानक और बिना किसी कारण के आती है।
- छींक आने पर या किसी के छींकने पर कुछ देर रुककर ही भगवान नारायण का स्मरण करके आवश्यक कार्य आरंभ करना चाहिए। अगर कहीं बाहर जाते समय छींक आ जाए तो वापस आकर कुछ देर बैठकर, पानी पीकर और भगवान का स्मरण करके निकल जाना चाहिए। छींक के अशुभ फल की शांति के लिए छींक आने पर “ॐ शांति” मंत्र का जाप करना चाहिए।