Onion Price: त्योहारी सीजन में प्याज की गर्मी ने आम लोगों की परेशानी बढ़ा दी है. सरकार की कोशिश बढ़ती मांग और घटती सप्लाई में संतुलन बनाकर कीमतों पर काबू पाने की है. इसके लिए कई उपाय किये जा रहे हैं. फिर भी कीमतें कम नहीं हो रही हैं. अगर यह सिलसिला एक हफ्ते तक जारी रहा तो केंद्र सरकार अतिरिक्त सख्ती और अन्य उपायों पर विचार कर सकती है.
माना जा रहा है कि नवंबर के दूसरे हफ्ते से कर्नाटक, महाराष्ट्र और आंध्र प्रदेश से बड़ी मात्रा में प्याज की आवक शुरू होने से प्याज की कीमतों में भी कमी आ सकती है. सभी राज्यों में प्याज का संकट है. स्थानीय उपलब्धता के आधार पर कीमतें भी बदलती रहती हैं। लेकिन यह साफ है कि सभी बाजारों में कीमतें लगभग दोगुनी हो गई हैं. बुधवार को दिल्ली में प्याज औसतन 78 रुपये प्रति किलो, मुंबई में 60 रुपये और कोलकाता में 77 रुपये प्रति किलो बिका.
सरकार रियायती दर पर बेच रही है प्याज | Government Selling Onion on Discount Price
केंद्र सरकार के आंकड़ों के मुताबिक, मंगलवार की तुलना में बुधवार को प्याज की औसत खुदरा कीमत करीब तीन रुपये बढ़कर 56.63 रुपये प्रति किलोग्राम हो गई. एक सप्ताह पहले यह कीमत 39 रुपये प्रति किलो थी.
मांग के अनुरूप बाजार में प्याज की आपूर्ति जारी रखने के लिए उपभोक्ता मामले विभाग ने तीन बड़े कदम उठाए हैं. बफर स्टॉक का दायरा बढ़ाकर निर्यात को नियंत्रित करने का प्रयास किया गया है।
इसके अलावा बिक्री केन्द्रों के माध्यम से उपभोक्ताओं को 25 रुपये प्रति किलोग्राम की रियायती दर पर प्याज भी उपलब्ध कराया जा रहा है।
कुछ महीनों के भीतर प्याज का बफर स्टॉक तीसरी बार बढ़ाया गया. शुरुआत में इसे दो लाख टन से बढ़ाकर तीन लाख टन किया गया। अगस्त में जब संकट गहराने लगा तो बफर स्टॉक बढ़ाकर पांच लाख टन कर दिया गया.
अब दो लाख टन की अतिरिक्त बढ़ोतरी कर इसे सात लाख टन कर दिया गया है. मांग-आपूर्ति का अंतर बढ़ने पर बफर स्टॉक काम आता है।
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Government on Onion Price
सरकार द्वारा प्याज को बफर स्टॉक से निकालकर 685 उच्च मूल्य मंडियों और 170 से अधिक शहरों की मंडियों के माध्यम से रियायती दरों पर बेचा जा रहा है। इसके लिए दो लाख टन प्याज भी अलग से खरीदा जा रहा है.
केंद्र ने प्याज निर्यात की मात्रा पर अंकुश लगाते हुए 31 दिसंबर तक न्यूनतम निर्यात मूल्य 800 अमेरिकी डॉलर प्रति टन तय किया है। भारतीय मुद्रा के अनुसार यह लगभग 67 रुपये प्रति किलोग्राम के बराबर है।
देश में प्याज की कीमतों में बढ़ोतरी का कारण कम उत्पादन और निर्यात में बढ़ोतरी है। इस साल मई-जून की बेमौसम बारिश ने प्याज की फसल को बुरी तरह प्रभावित किया है. उत्पादन तो घटा, लेकिन निर्यात पर नियंत्रण नहीं हो सका. इस वित्तीय वर्ष में अब तक 15 लाख टन प्याज का निर्यात किया जा चुका है.
बांग्लादेश, मलेशिया और संयुक्त अरब अमीरात भारत से प्याज के बड़े आयातक हैं। प्याज की उपलब्धता बढ़ाने और नई फसल आने तक कीमत पर नियंत्रण रखने के लिए बफर स्टॉक से प्याज जारी किया जा रहा है. हर जगह नई फसल की आवक शुरू हो गई है, लेकिन नवंबर के दूसरे हफ्ते से कर्नाटक, महाराष्ट्र और आंध्र प्रदेश से बड़ी मात्रा में प्याज की आवक शुरू हो सकती है.